मेरे तरसे सूणन ने कान,
बालाजी कद बोल सुणावेगा,
कद बोल सूणावैगा,
तू बेटा कहकै बूलावैगा,
मेरे तरसैं सूणन नै कान,
बाला जी कद बोल सुणावैगा।।
तर्ज – वृन्दावन जाउंगी सखी।
मेरी भक्ति म्ह हो सच्चाई,
तो राजी हो जाणा,
तेरी याद म्ह तड़पे जाऊं,
होर ना तड़पाणा,
खड़या सच्चे धर्म के मार्ग पै,
कद तोलण आवैगा,
मेरे तरसैं सूणन नै कान,
बाला जी कद बोल सुणावैगा।।
जोड़ लिया तेरे तै नाता,
दूनीया छोड़कै,
राम नाम की चादर अपणे,
तन पै ओढ़ कै,
जाईए ना दिल नै तोड़ बता,
तनै के मिल जावैगा,
मेरे तरसैं सूणन नै कान,
बाला जी कद बोल सुणावैगा।।
तेरी भगती म्ह होया चूर,
मैं चढ़ग्या रंग तेरा,
एक बै कहदे सूणा लाड़ले,
के सैं ढंग तेरा,
मनै बैठाकै अपणी गोदी म्ह,
कद हँश बतलावैगा,
मेरे तरसैं सूणन नै कान,
बाला जी कद बोल सुणावैगा।।
मन का मन्दिर रोशन करदे,
पिलादे अमृत ग्यान,
कुड़लण आले गजेन्द्र पै बस,
करदे ईतना स्यान,
मेरा होज्यागा कल्याण,
जै अपणी मेहर फीरावैगा,
मेरे तरसैं सूणन नै कान,
बाला जी कद बोल सुणावैगा।।
मेरे तरसे सूणन ने कान,
बालाजी कद बोल सुणावेगा,
कद बोल सूणावैगा,
तू बेटा कहकै बूलावैगा,
मेरे तरसैं सूणन नै कान,
बाला जी कद बोल सुणावैगा।।
लेखक/प्रेषक – गजेन्द्र स्वामी कुड़लण।
9996800660
गायक – लक्की पिचौलिया।
9034283904