बालाजी मेरी डग मग नाव डोल रही,
कद सी पार लगाओगे,
कद सी पार लगाओगे,
बालाजी मेरी डग मग नाव डोल रहीं,
कद सी पार लगाओगे।।
मन्नै न्युए व्यर्था उम्र गुजारी,
ना भक्ति की बात बिचारी,
कब मुझको समझाओगे,
बालाजी मेरी डग मग नाव डोल रहीं,
कद सी पार लगाओगे।।
मैं पापी मुर्ख अज्ञानी,
बण क रहया सदा अभिमानी,
कद अभिमान मिटाओगे,
बालाजी मेरी डग मग नाव डोल रहीं,
कद सी पार लगाओगे।।
कर कर क ने तेरा मेरा,
बालाजी नाम भुल गया,
तेरा कद याद दिलाओगे,
बालाजी मेरी डग मग नाव डोल रहीं,
कद सी पार लगाओगे।।
‘नरैन्द्र कौशिक’ तनै समझावः,
फौजी सुरेश क्युं पाप कमाव,
करणी का फल पाओगे,
बालाजी मेरी डग मग नाव डोल रहीं,
कद सी पार लगाओगे।।
बालाजी मेरी डग मग नाव डोल रही,
कद सी पार लगाओगे,
कद सी पार लगाओगे,
बालाजी मेरी डग मग नाव डोल रहीं,
कद सी पार लगाओगे।।
गायक – नरेन्द्र कौशिक।
भजन प्रेषक – राकेश कुमार जी,
खरक जाटान(रोहतक)
( 9992976579 )