बालाजी तेरे नाम की,
मेर खटक कसुती लागी,
ले मनै राम की सुँ मैं,
तेरी शरण में आगी।।
हनु हनु हनुमान,
बाबा बाबा बोले जा सुं,
मन मंदिर में फोटु धर कं,
ओर: धोर: डोले जा सुं,
पाँचु पापी घेरी घाल,
नरजे प सत तोलें जा सुं,
चाहना ना स किसे काम की,
हो मेर: इसी मस्ती छागी,
ले मनै राम की सुँ मैं,
तेरी शरण में आगी।।
चालीसा पढ़े बिन,
कदे खाती ना अन्न बाबा,
माला ले क करें जां सुं,
तेरा ही मैं सुमरण बाबा,
पुरा स भरोसा हो गया,
तेरे दर्शन का मन्नै बाबा,
आरति सुनु सुं सुबह शाम की,
हो बाबा सुरत मेरे मन भागी,
ले मनै राम की सुँ मैं,
तेरी शरण में आगी।।
तेरे बिना दुनिया में,
कोई भी साहरा कोना,
राधा और मीरा की ज्युं,
कोई भी माहरा कोना,
मन्नै सुणी स भक्तां तं,
हरि होता न्यारा कोना,
प्रीत लगी स तेरे नाम की,
हो मन्नै चीज अनुठी पाखी,
ले मनै राम की सुँ मैं,
तेरी शरण में आगी।।
सच बुझ:त बालाजी गई,
कुलयुग के ओट झेले,
न सोवंती जगा राखी सुँ,
जगननाथ के इस चैले न,
अशोक भक्त ने समझाई मैं,
समझी नहीं झमेले न,
रटना लगी है श्री राम की,
हो मन्नें मुश्किल निन्द्रा त्यागी,
ले मनै राम की सुँ मैं,
तेरी शरण में आगी।।
ओ बालाजी तेरे नाम की,
मेर खटक कसुती लागी,
ले मनै राम की सुँ मैं,
तेरी शरण में आगी।।
गायक – नरेंद्र कौशिक जी।
प्रेषक – राकेश कुमार जी।
खरक जाटान (रोहतक)
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