बालाजी तेरी ज्योत देख के,
दोहा – तुम बिन मेरा कोए नही,
तूझ लग मेरी दौड़,
जैसे काग जहाज का,
टीके ना दुजी ठोड़।
बालाजी तेरी ज्योत देख के,
मेरे मन म उठैं हिलोर,
ओ मनै दास बणाले,
बाबा ना चाहिऐ कुछ और।।
देखे – मेरे बाबा ज्योत पे आजा।
संकट न मै घणा सताया,
मेरै घाल रहया स घेरा,
ज्यान मरण म आगी हो बाबा,
मेरी जिन्दगी का ना बेरा,
संकट बैरी न लाया घेरा,
मेरा चलता ना कुछ जोर,
हो मनै दास बणाले,
बाबा ना चाहिऐ कूछ और।।
जब जब तेरी ज्योत जगाऊँ,
यो संकट जोर जमावै,
साँज सवेरे दिन और राती,
सूपने म आण डरावै,
नही समझ म कुछ भी आवै,
मेरे पाच्छै लाग्या चोर,
हो मनै दास बणाले,
बाबा ना चाहिऐ कूछ और।।
घर कुणबे की चाल बीगड़गी,
ना कहया मानते मेरा,
चारों तरफ न ओ मेरे बाबा,
मनै दिखै घोर अन्धेरा,
इस दुनिया म ना कोई मेरा,
मनै दे चरणां म्ह ठोर,
हो मनै दास बणाले,
बाबा ना चाहिऐ कूछ और।।
रमेश नगलीया नै मेहन्दीपूर म्ह,
जब आकै ज्योत जगाई,
हाथ धरया बालक के सर पै,
उसकी डूबी नाव तैराई,
कौशिक की भी करो सहाई,
तेरी गाता फिरै सै बोर,
हो मनै दास बणाले,
बाबा ना चाहिऐ कूछ और।।
बालाजी तेरी ज्योत देखकै,
मेरे मन म उठैं हिलोर,
ओ मनै दास बणाले,
बाबा ना चाहिऐ कुछ और।।
गायक – श्री नरेन्द्र कौशिक जी।
प्रेषक – गजेन्द्र स्वामी कुड़लाण।
जिला – करनाल 9996800660