बालक देदो नी श्रीयादे,
दुनिया बाजड़ी केवे,
बाजड़ी केवे ओ जामण,
बाजड़ी केवे।।
घणा मंदिरियां धोकियां देवरा,
कोई नहीं म्हारी सुणी,
देव दियाड़ी सुमरियां किदा,
टोना टोटका पाणी,
टाबर देदो नी श्री यादे,
दुनिया बाजड़ी केवे।।
सास कहे बेटा ने भाया,
बहु थारी बाजड़ आगी,
ओरी लावां ताड़ ईने थुं,
ऐसी बातां जागी,
लाज राखो नी जगदम्बा,
दुनिया बाजड़ी केवे।।
नणदुली तो मासुं जामण,
ओडी डोडी बोले,
दोर जेठानियां आप आपणी,
मनकी बातां खोले,
छोरो देदो नी श्रीयादे,
दुनिया बाजड़ी केवे।।
फुल फांकडी हाजर कर दुं,
बण पुगे जो मात,
जड़ुलो राखुली थांको,
करुं बोलमा मात,
किरपा करदो नी जगदम्बा,
दुनिया बाजड़ी केवे।।
दुःखिया री की अरजी जेलो,
नार करे विलाप,
बाजड़लियां की गोद भरो मां,
‘रतन’ अरजे आज,
मेहर करदो नी श्रीयादे,
दुनिया बाजड़ी केवे।।
बालक देदो नी श्रीयादे,
दुनिया बाजड़ी केवे,
बाजड़ी केवे ओ जामण,
बाजड़ी केवे।।
गायक व रचना – पं. रतनलाल प्रजापति।
सहयोगी – श्रीप्रजापति मण्डल चौगांवडी़।