बन के मोरछड़ी सांवरिया,
थारे हाथ में सज जाऊँ,
बन के मोरछड़ी,
थारे हाथ में सज जाऊँ मैं थारे,
थारे हाथ में सज जाऊँ मैं थारे,
थारे हाथ में सज जाऊँ,
बन के मोरछड़ी,
बन के मोरछड़ी साँवरिया,
थारे हाथ में सज जाऊँ।।
या फिर मुकुट सजा ले कान्हा,
मोर पंख मैं बन जाऊं,
लहराऊ थारे बाला में,
लहराऊ थारे बाला में,
ऐसो रम जाऊ,
बन के मोरछड़ी,
बन के मोरछड़ी साँवरिया,
थारे हाथ में सज जाऊँ।।
गले रो हार बना ले सांवरा,
चम चम चम चम चमकू मैं,
लग जाऊ थारे सिने से,
लग जाऊ थारे सिने से,
मन में बस जाऊ,
बन के मोरछड़ी,
बन के मोरछड़ी साँवरिया,
थारे हाथ में सज जाऊँ।।
या फिर हाथ पकड़ ले कान्हा,
थारी बंसी बन जाऊ,
मीठा मीठा भजन सुना के,
मीठा मीठा भजन सुना के,
होंठा पे रम जाऊ,
बन के मोरछड़ी,
बन के मोरछड़ी साँवरिया,
थारे हाथ में सज जाऊँ।।
मोरछड़ी या बंसी म्हाने,
किसी बहाने तो रख ले रे,
‘रवि बाजरा’ बोल पुगा द्यो,
‘रवि बाजरा’ बोल पुगा द्यो,
थारो चाकर बन जाऊ,
बन के मोरछड़ी,
बन के मोरछड़ी साँवरिया,
थारे हाथ में सज जाऊँ।।
बन के मोरछड़ी सांवरिया,
थारे हाथ में सज जाऊँ,
बन के मोरछड़ी,
थारे हाथ में सज जाऊँ मैं थारे,
थारे हाथ में सज जाऊँ मैं थारे,
थारे हाथ में सज जाऊँ,
बन के मोरछड़ी,
बन के मोरछड़ी साँवरिया,
थारे हाथ में सज जाऊँ।।
स्वर – तुलसी गोयल।