बंदा मत करो गर्व गुमान,
अमर नहीं रहणें की काया,
रहणें की काया,
अमर नहीं रहणें की काया,
बंदा मत करों गर्व गुमान,
अमर नहीं रहणें की काया।।
बिस भुजा दस शीश रावण के,
लाख पुत्र जाया,
रामचन्द्र से युद्ध कीया,
धरती से मिलवाया,
ये थै बहुत बड़े तुफान,
जिनको काल बली खाया,
बंदा मत करों गर्व गुमान,
अमर नहीं रहणें की काया।।
बड़ै वीर थै कोरव पांडव,
कुटम्ब खपाय दिया सारे,
कुरूक्षेत्र के बिच नाश हुऐ,
अक्सुमणी सात और ग्यारा,
जिनके सायक थे भगवान,
पड़ी धरणी बिच माया,
बंदा मत करों गर्व गुमान,
अमर नहीं रहणें की काया।।
साठ हजार राजा सागर के,
इंन्द्र लोक डर पाया,
सुरपति अस्व पकड़ हाथ जब,
कपील पास बंधवाया,
मुनी नें फुकी सब की जान,
पलक में ढैर लगाया ओ,
बंदा मत करों गर्व गुमान,
अमर नहीं रहणें की काया।।
विक्रम भोज भीम और भगदत,
करण चले गये भाई,
कहे नंदराम सोच और प्यारे,
कोण तेरी चाल चलाई,
बंदा करो हाथ से दान,
संग में कुछ नहीं लाया रे,
बंदा मत करों गर्व गुमान,
अमर नहीं रहणें की काया।।
बंदा मत करो गर्व गुमान,
अमर नहीं रहणें की काया,
रहणें की काया,
अमर नहीं रहणें की काया,
बंदा मत करों गर्व गुमान,
अमर नहीं रहणें की काया।।
गायक – साखी सम्राट रवि सोढ़ा।
जैसलां जोधपुर। 7727991652