बंदगी इम्तिहान लेती है,
प्रेमियों की जान लेती है,
सरल प्रेम करना निभाना कठिन है,
बड़ी राह आसान जाना कठिन है,
किसी को ह्रदय में बसाना कठिन है,
कहो अपना लेकिन बनाना कठिन है।।
एक दिन बोले मदन मुरारी,
होवे दर्द पेट में भारी,
रहे अकुलाई के,
दवा तो कराओ वैध बुलाई के।।
सुना हाल बेहाल ग्वाल,
कान्हा के पास में आये,
क्या तकलीफ हुई है तुमको,
आपस में बतलाये,
पूछ रही हैं सखियाँ सारी,
सच बोलो गिरधारी,
तुम्हे क्या हो गया है,
हालत ऐसी हुई तुम्हारी,
सच बोलो गिरधारी,
तुम्हे क्या हो गया है,
सुनके चतुर सखी एक बोली,
लाओ पेट दर्द की गोली,
दूकान पे जाए की,
दवा तो कराओ वैध बुलाई के।।
बोले कृष्णा दवा ऐसी से,
मोकु चैन ना आवे सखी री,
हो जाऊं बिलकुल ठीक सखी,
कोई धोकर पैर पिलावे,
सखियाँ आपस में बतरावे,
ऐसो करें नरक में जावे,
तुरत सिधाई के,
दवा तो कराओ वैध बुलाई के।।
देख दशा गोपियों की तब,
यूँ बोले कृष्ण मुरारी,
सब सखियाँ गई मुकर ना,
पूछी तुमने राधा प्यारी,
गोपी राधा पास एक आई,
आके सबरी बात बताई,
रहे दुःख पाई के,
दवा तो कराओ वैध बुलाई के।।
नैन में आंसू वो भर लाइ,
राधा नंगे पग दौड़ी,
धो के पैर जल दिया श्याम को,
मर्यादा सब तोड़ी,
हस के बोले मदन मुरारी,
जा सूं लगे राधिका प्यारी,
रहे मुस्काई के,
दवा तो कराओ वैध बुलाई के।।
बंदगी इम्तिहान लेती है,
प्रेमियों की जान लेती है,
सरल प्रेम करना निभाना कठिन है,
बड़ी राह आसान जाना कठिन है,
किसी को ह्रदय में बसाना कठिन है,
कहो अपना लेकिन बनाना कठिन है।।
Singer & Writer – Raju Bawra Ji