बंगला अजब बना महाराज,
जिसमें नारायण बोले,
नारायण बोले यामे,
नारायण बोले,
बंगला खूब बण्या महाराज,
जिसमें नारायण बोले।।
पांच तत्व की ईंट बनाई,
तीन गुणा रो गारा,
छत्तीसों की छत बनाई,
चेतन है चेजारा,
बंगला खूब बण्या महाराज,
जिसमें नारायण बोले।।
इस बंगले में दस दरवाजे,
बीच पवन का खंबा,
आवत जावत कछु नहीं देखे,
यह भी एक अचंभा,
बंगला खूब बण्या महाराज,
जिसमें नारायण बोले।।
इस बंगले में चौपड़ मांडी,
खेले पांच पच्चिसा,
कोई तो बाजी हार चला है,
कोई चला जग जीता,
बंगला खूब बण्या महाराज,
जिसमें नारायण बोले।।
इस बंगले में पातर नाचे,
मनवा ताल बजावे,
निरित सूरत का बांध घुंघरू,
राग छत्तीस गावे,
बंगला खूब बण्या महाराज,
जिसमें नारायण बोले।।
कहत कबीर सुनो भाई साधु,
जिन यह बंगला गाया,
इस बंगले का गावन हारा,
बहुरि जन्म नहीं पाया,
बंगला खूब बण्या महाराज,
जिसमें नारायण बोले।।
बंगला अजब बना महाराज,
जिसमें नारायण बोले,
नारायण बोले यामे,
नारायण बोले,
बंगला खूब बण्या महाराज,
जिसमें नारायण बोले।।
स्वर – संत श्री बाबूदासजी महाराज।
प्रेषक – भँवरलाल जाँगिड़।
9890550772