बाँके बिहारी मेरे,
हमें कब बुलाओगे,
वृन्दावन की गलियों में,
तुम जो रुठ जाओगे,
सांवरे सलोने मेरे,
हमें कब बुलाओगे।।
बांके बिहारी मेरे,
मुझे तुम जो याद आओगे,
दिन न कटे ये रात,
हमें तुम रुलाओगे,
सांवरे सलोने मेरे,
हमें कब बुलाओगे।।
कीर्तन किये नाम के,
भोग धरे श्याम के,
देरी होवे ना घनश्याम,
तुम जो नही आओगे,
सांवरे सलोने मेरे,
हमें कब बुलाओगे।।
पूजा पाठ करके भी,
मन मेरा ना लागे ये,
दीदार करू तेरे वो,
ख्वाईश सूरत की,
सांवरे सलोने मेरे,
हमें कब बुलाओगे।।
भक्त खड़े दर वे,
कृपा तो कर दोगे,
धरम कहे घनश्याम,
चरनन में ले लोगे,
सांवरे सलोने मेरे,
हमें कब बुलाओगे।।
बाँके बिहारी मेरे,
हमें कब बुलाओगे,
वृन्दावन की गलियों में,
तुम जो रुठ जाओगे,
सांवरे सलोने मेरे,
हमें कब बुलाओगे।।
गायक / प्रेषक – धर्मेंद्र तंवर उदयपुर।
9829202569