बांके नयन रतनार हो,
सखि मनवा के मोहे,
शोभेलें अवध कुमार हो,
सखि मनवा के मोहे।।
नील कमल सम श्याम शरीरा,
चितवन की लागी कटार हो,
सखि मनवा के मोहे,
बाँके नयन रतनार हो,
सखि मनवा के मोहे।।
वसन पिताम्बर बदनवा पै शोभे,
शोभेला तिलक लिलार हो,
सखि मनवा के मोहे,
बाँके नयन रतनार हो,
सखि मनवा के मोहे।।
मोर मुकुट मकराकृत कुंडल,
गल बैजन्ती माल हो,
सखि मनवा के मोहे,
बाँके नयन रतनार हो,
सखि मनवा के मोहे।।
बायें कंध धनुष सखि शोभे,
कमर निषंग और बाण हो,
सखि मनवा के मोहे,
बाँके नयन रतनार हो,
सखि मनवा के मोहे।।
अगणित मदन लजाए सखी हो,
शोभा की छाई बहार हो,
सखि मनवा के मोहे,
बाँके नयन रतनार हो,
सखि मनवा के मोहे।।
बांके नयन रतनार हो,
सखि मनवा के मोहे,
शोभेलें अवध कुमार हो,
सखि मनवा के मोहे।।
गायक – मनोज कुमार खरे।
रचनाकार – ब्रह्मेश्वर नाथ मिश्र।