बंशी वाला श्याम सांवरा,
आज बृज में बस जा रे।।
दोहा – सावण मास सुहावणो,
जीं घर धीणो होय,
धीणो बाजे सुहावणो,
जीं घर कन्न्ड़ होय।
इण गोवर रे डांडले,
लख आवे लख जाय,
एक न आयो कान जी,
रहयो अंधेरो छाय।
बंशी वाला श्याम सांवरा,
आज बृज में बस जा रे।।
तेरे कारण दहिड़ों जमाय दू,
तू भर भर अंगुली चख जा रे,
आज बृज में बस जा रे।।
तेरे कारण बाग लगाय दू,
घूमण रे मिस आयजा रे,
आज बृज में बस जा रे।।
मैं साँवरे री साँवरो म्हारो,
म्हारी प्रीत पुराणी,
अब तो कोई बात बणावे,
बणावण दे,
माई म्हाने पणघट जावण दे,
साँवरे ने देखण दे।
तेरे कारण हौद चिणाय दू,
नहावण रे मिस आयजा रे,
आज बृज में बस जा रे।।
तेरे कारण झूला घलाय दू,
तू झूलण रे मिस आयजा रे,
आज बृज में बस जा रे।।
तेरे कारण भोजनिया बणाय दू,
तू जीमण रे मिस आयजा रे,
आज बृज में बस जा रे।।
तेरे कारण सेज बिछायदू,
घड़ी दोय रमण ने आयजा रे,
आज बृज में बस जा रे।।
बाई मीरां केवे गिरधर रा गुण,
चरणों में चित ने लगाय जा रे,
आज बृज में बस जा रे।।
बंशी वाला श्याम साँवरा,
आज बृज में बस जा रे।।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052