मुरलिया में छेडस तनवा,
बनवा में नंद किशोर हो,
बंसी बजवैया कन्हैया,
माखन चोर हो।।
बनवा के बीच कान्हा बंसिया बजावले,
बंसिया के तान गाय बाछ के सुनावले,
देखनी में गैया बछिया,
गलवे के पहने हार हो,
बंसी बजवइया कन्हैया,
माखन चोर हो।।
चकवा चकईया गैया और बछिया,
कदमे ऊपर झूमे पेड़ के पतइयां,
देखनी में मोरवा मोरनी,
थोरवे में डाले थोर हो,
बंसी बजवइया कन्हैया,
माखन चोर हो।।
मुरलिया में छेडस तनवा,
बनवा में नंद किशोर हो,
बंसी बजवैया कन्हैया,
माखन चोर हो।।
गायक – पं. अभिषेक पाठक।
प्रेषक – अशोक जांगिड़।
9828123517