बार बार अरदास करूँ मै,
सतगुरू जी सरकार,
नैया को मेरी कर देना उस पार,
बार बार हर बार कहूँ ये,
सतगुरु जी सरकार,
नैया को मेरी कर देना उस पार।।
तर्ज – बार बार तुझे क्या समझाए।
छाया अँधियारा प्रभू,
देखूँ मै जिधर,
सूझे न कुछ भी मझे,
जाऊँ मै किधर,
राह बतादो,
मुझको दाता,
आकर के एक बार,
नैया को मेरी कर देना उस पार।।
नैया टूटी है मेरी,
क्या करूँ जतन,
लेलो मेरे सतगुरू,
मुझे अपनी शरण,
ठोकर एक लगादो इसमे,
हो जाए भव पार,
नैया को मेरी कर देना उस पार।।
साँसो की डोरी मेरी,
टूटे जो कभी,
तेरे ही सुमिरन मे बीते ये सभी,
ऐ मेरेसतगुरू मुझपे दाता,
करदो ये उपकार,
नैया को मेरी कर देना उस पार।।
बार बार अरदास करूँ मै,
सतगुरू जी सरकार,
नैया को मेरी कर देना उस पार,
बार बार हर बार कहूँ ये,
सतगुरु जी सरकार,
नैया को मेरी कर देना उस पार।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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