बार बार करू अरज विनती,
श्री विश्वकर्मा प्रभु ने,
म्हारी अरज सुणो महाराज,
चरण रो चाकर थारो मैं।।
जगकर्ता, जगभर्ता प्रभु तुम,
आदि सृष्टि के स्वामी,
मैं बालक नादान प्रभु जी,
तुम हो अंतर्यामी,
शरण पङे के तुम हो तारक,
दीन दुखारी के।
म्हारी अरज सुणो महाराज,
चरण रो चाकर थारो मैं।।
शिल्पकार हो रचनाकार प्रभु,
आदि सृष्टि के ध्यौता,
आप ना होते साथ प्रभु यह,
जग सुंदर ना होता,
‘झाला’ की प्रभु अरज विनती,
तारो म्हाने थें।
म्हारी अरज सुणो महाराज,
चरण रो चाकर थारो मैं।।
बार बार करू अरज विनती,
श्री विश्वकर्मा प्रभु ने,
म्हारी अरज सुणो महाराज,
चरण रो चाकर थारो मैं।।
गायक / प्रेषक – घनश्याम जी झाला।
9531041088