बार बार सतगुरु समझावे,
दोहा- राम भजन कर लिजिए,
कर सतगुरु से हेत,
किशनदास अवसर भलो,
चेत सके तो चेत।
बार बार सतगुरु समझावे,
ऐसो अवसर बहुरी न आवे।।
राम राम भजलो शिष्य भाई,
मुक्ति होवण री जुगति बताई।।
जामण मरण मिटेगा तेरा,
युं सत् शब्द मान शिष्य मेरा।।
सांसों सांस राम नित गावो,
सुरत शब्द मन पवन मिलाओ।।
किशनदास गुरु पुरा भेटया,
जन्म मरण राम संष्य मेटया।।
बार बार सतगुरु समझावें,
ऐसो अवसर बहुरी न आवे।।
गायक – संत श्री सुखदेवजी महाराज।
प्रेषक – ओमप्रकाश गोदारा।
6378742263