बरसाने में बंगला देखा,
बंगला राधे रानी का,
कितना पावन प्रेम बरसता,
कितना पावन प्रेम बरसता,
ठाकुर और ठाकुरानी का।bd।
तर्ज – नगरी नगरी द्वारे द्वारे।
उड़न खटोला बरसाने के,
बैठा बधाई गाई हो,
बैठा बधाई गाई हो,
रह रह के वो छवि निहारे,
नैनन बीच समाई जो,
नैनन बीच समाई जो,
धन्य हुआ है जीवन सारा,
क्या रुतबा महारानी का,
बरसानें मे बंगला देखा,
बंगला राधे रानी का,
कितना पावन प्रेम बरसता,
कितना पावन प्रेम बरसता,
ठाकुर और ठाकुरानी का।bd।
आंखें चार हुई तो टप टप,
असुअन धारा बह निकली,
असुअन धारा बह निकली,
प्रेम भाव का उठा हिलोरा,
टूटी किस्मत भी बदली,
टूटी किस्मत भी बदली,
छूकर जैसे मुझको निकला,
आंचल राधे रानी का,
बरसानें मे बंगला देखा,
बंगला राधे रानी का,
कितना पावन प्रेम बरसता,
कितना पावन प्रेम बरसता,
ठाकुर और ठाकुरानी का।bd।
जन्म जन्म ‘लहरी’ किरपा ये,
कुंज किशोरी पाऊं मैं,
कुंज किशोरी पाऊं मैं,
बिछा रहूं इन पद कमलों में,
चरनामृत रज पाऊं मैं,
चरनामृत रज पाऊं मैं,
तन मन हारा हाल कहूं क्या,
होश कहाँ गुण ग्यानी सा,
बरसानें मे बंगला देखा,
बंगला राधे रानी का,
कितना पावन प्रेम बरसता,
कितना पावन प्रेम बरसता,
ठाकुर और ठाकुरानी का।bd।
बरसाने में बंगला देखा,
बंगला राधे रानी का,
कितना पावन प्रेम बरसता,
कितना पावन प्रेम बरसता,
ठाकुर और ठाकुरानी का।bd।
स्वर – उमा लहरी जी।
प्रेषक – अभिलाष तिवारी।
7000400014