बीत गए खुशियों से,
फागण के दिन ये चार,
अगले बरस फिर जल्दी बुलाना,
सांवरिया सरकार।।
कैसी ये बाबा तुमने,
रीत बनाई,
मुश्किल है मेरा तुमसे,
माँगना बिदाई,
ना जाने कब होगा,
फिर से तेरा दीदार,
अगले बरस फिर जल्दी बुलाना,
सांवरिया सरकार।।
तेरे प्रेमियों के संग जो,
पल है बिताएं,
मस्ती जो लूटी कैसे,
भूल हम जाए,
याद हमें आती है,
खाटू नगरी की बहार,
अगले बरस फिर जल्दी बुलाना,
सांवरिया सरकार।।
विनती दयालु हमें,
भूल नहीं जाना,
हर फागण में अपने,
पास बुलाना,
‘शिवम’ की ये अर्जी,
तुम कर लेना स्वीकार,
अगले बरस फिर जल्दी बुलाना,
सांवरिया सरकार।।
बीत गए खुशियों से,
फागण के दिन ये चार,
अगले बरस फिर जल्दी बुलाना,
सांवरिया सरकार।।
स्वर – शिवम पंसारी।