भादुडा में गरणावे तेजल,
अलगोजा की जोड़ी,
बांध पगा में घुंघरा,
नाचेंली लिलण घोडी।।
गांव गांव खेडा में तेजा,
निकल छः बन्दोरी,
डिजे ऊपर घुमर खावे,
या भक्ता वाली टोली,
भादुड़ा में गरणावे तेजल,
अलगोजा की जोड़ी।।
बागा में हरियाली छाई,
बोलें छः कोयलडी,
मोरया नाचें मोरणी,
लागे छः प्यारी जोडी,
भादुड़ा में गरणावे तेजल,
अलगोजा की जोड़ी।।
काली काली बादली,
बरसे छः थोडी थोड़ी,
खेता माही हलयो बावे,
दो बैला की जोड़ी,
भादुड़ा में गरणावे तेजल,
अलगोजा की जोड़ी।।
काला को खायोडो तेजा,
थारी आवे दोडी,
पल में झाडो देर मिलावे,
घर धणी की जोडी,
भादुड़ा में गरणावे तेजल,
अलगोजा की जोड़ी।।
सुरसुरा में तेजा थारी,
प्यारी लागे मेडी,
दसमी को थारे मैलो लागे,
दुनिया आवे दोडी,
भादुड़ा में गरणावे तेजल,
अलगोजा की जोड़ी।।
जाटा का तेजाजी थाने,
सोवे लिलण घोडी,
‘रमेश प्रजापत’ महिमा गावे,
कृपा करजे थोडी,
भादुड़ा में गरणावे तेजल,
अलगोजा की जोड़ी।।
भादुडा में गरणावे तेजल,
अलगोजा की जोड़ी,
बांध पगा में घुंघरा,
नाचेंली लिलण घोडी।।
गायक / प्रेषक – रमेश प्रजापत टोंक।
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