भाग भला ज्या घर सन्त पधारे,
कर किरपा भव सागर तारे,
कर सीमरण भव सागर तारे,
भाग भला ज्या घर सन्त पधारे।।
आयोडा सन्ताने आदर देणा,
चरण धोय चरणामृत लेना,
भाग भला ज्या घर सन्त पधारे।।
ऐ कोई ऐक सन्त आया पर उपकारी,
ऐ चरणे आवे जाने लेवे उधारी,
भाग भला ज्या घर सन्त पधारे।।
सन्त सायब मे अन्तर नाही,
सायब रा घर संतो रे माहि,
भाग भला ज्या घर सन्त पधारे।।
ऐ सन्ता से सुणलो अमरत वाणी,
ऐ सुणवा सु छुटजा चोरासी की घाणी,
भाग भला ज्या घर सन्त पधारे।।
कहेत कबीरा सन्त भलाई पधारीया,
जनम जनम का कारज सारीया,
भाग भला ज्या घर सन्त पधारे।।
भाग भला ज्या घर सन्त पधारे,
कर किरपा भव सागर तारे,
कर सीमरण भव सागर तारे,
भाग भला ज्या घर सन्त पधारे।।
स्वर – मोईनुद्दीन जी मनचला।