भगत बुलावे वेगा पधारो,
आओ भटियल मात,
ओ म्हारो मनडों तरस रयों,
कद आओ दरबार।।
जसोल गढ़ मेँ धाम बणियो,
आवे नर और नार,
धूप दीप सु करू आरती,
कद आवो दरबार,
ओ म्हारो मनडों तरस रयों,
कद आओ दरबार।।
धिर्त मिठाई चढ़े चूरमा,
निलोड़ा नारल,
गुग्लीयो रे धूप खेऊ,
कद आवो दरबार,
ओ म्हारो मनडों तरस रयों,
कद आओ दरबार।।
ढोल नगाड़ा नौबत बाजे,
झालर रो झण्कार,
घणे कोड सु होवे आरती,
कद आवो दरबार,
ओ म्हारो मनडों तरस रयों,
कद आओ दरबार।।
बामन पूजे बनिया पूजे,
पूजे सारों संसार,
बाझन नार पुत्र ने तरसे,
कद आवो दरबार,
ओ म्हारो मनडों तरस रयों,
कद आओ दरबार।।
जांगिड़ सूरेश री विनती,
सुण्जो भटियल मात,
हो घणे चाव सु भजन करू माँ,
कद आवो दरबार,
ओ म्हारो मनडों तरस रयों,
कद आओ दरबार।।
भगत बुलावे वेगा पधारो,
आओ भटियल मात,
ओ म्हारो मनडों तरस रयों,
कद आओ दरबार।।
प्रेषक – सांगा राम सुथार माडपुरा।
गायक – सुरेश जांगिड़ बाड़मेर।
मो.7073648651