भगवी चादर भगवी चोलो,
सर पर टोपी धारी।
दोहा – समराथल सो थल नहीं,
मंदिर बड़ो मुकाम,
जंभ सरोवर पाल पर,
संत करें स्नान।
भगवी चादर भगवी चोलो,
सर पर टोपी धारी,
लंबी सी दाढ़ी ओ निराली,
गुरु जंभेश्वर अवतारी।।
पीपासर मे जन्म लियो है,
लोहट जी घर माही,
हंसा दे तो मात कही जे,
विष्णु रा अवतारी,
भगवी टोपी भगवी चादर।।
त्रेता युग में हीरा रे बिणजीया,
दुआपुर गाया चारी,
वृंदावन मैं बंसी बजाई,
कलयुग रा अवतारी।।
धर्म म भलो थाने भलो बतायो,
गीता रे अनुसारी,
पावन तीर्थ किया जग माही,
विष्णु रा अवतारी।।
छापर ताल में गाया चराई,
विष्णु रा अवतारी,
समराथल में बंसी बजाई,
विष्णु रा अवतारी।।
भजन मंडली थारो भजन बणायो,
चरणों में शीश निवायो,
विष्णु विष्णु रटता रेजो,
बेड़ो पार करायो।।
भगवी चादर भगवी चोलों,
सर पर टोपी धारी,
लंबी सी दाढ़ी ओ निराली,
गुरु जंभेश्वर अवतारी।।
स्वर – आशा जी वैष्णव।
प्रेषक – सुभाष सारस्वत काकड़ा।
मोबाइल 9024909170