भजले मनवा तू हरि,
भले आधी ही घड़ी,
कि हो न जाए कही,
जिन्दगी की शाम,
भजो हरि नाम,
हरि नाम हरि नाम।।
तर्ज – ऐ मेरी जौहराँ ज़बी।
तेरा बचपन भी न रहा,
जवानी भी नही रही,
बुढ़ापा भी है आने को,
तैयारी की या नही,
कि तेरी कि तेरी आने को है बारी,
भजो हरि नाम,
हरि नाम हरि नाम।।
अभी भी बक्त हे प्यारे,
यदि तरना जो तू चाहे,
श्री सतगुरू के चरणो मे,
अगर जो तू आजाए,
ये तेरी ये तेरी कश्ती न डूबेगी,
भजो हरि नाम,
हरि नाम हरि नाम।।
सभी अवगुण को तू धोले,
मिला अवसर है तुझे,
लगा सुमिरन का तू साबुन,
दिया गुरू ने है तुझे,
ये तेरी ये तेरी चादर मैली है,
भजो हरि नाम,
हरि नाम हरि नाम।।
भजले मनवा तू हरि,
भले आधी ही घड़ी,
कि हो न जाए कही,
जिन्दगी की शाम,
भजो हरि नाम,
हरि नाम हरि नाम।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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