भजन बिना कठे बतावेला मुंडो,
दोहा – भलो मानुष तन पायके,
क्यूँ बिसरायो पीव,
किशनदास भूल्यो फिरे,
किणके भरोसे जीव।
किशनदास संसार हैं,
कागज का घोड़ा,
कितरा किया मंडाण पर,
जीवन हैं थोड़ा।
भजन बिना कठे बतावेला मुंडो,
भवसागर ओ भ्रम जळ भरियो,
नाव लगे नी डूंडों।।
इमरत छोड़ जहर क्यूँ पीवो,
ओ कांई सूज्यो भूंडो,
लख चौरासी में जाय पड़ेलो,
माथे नरक रो कूण्डों,
भजन बिना कठे बतावेलो मुंडो।।
जरणी भार मरी जन्मया जद,
ज्यांरो लगा दियो भुंडो,
धर्मराय थारो लेखों लेसी,
हाल होजावेला भूंडो,
भजन बिना कठे बतावेलो मुंडो।।
गर्भ गडूरी मिली भारजा,
नार छूटे नी ढूंढो,
कर्मो रो हीण कादा माई कळीयों,
दिन दिन जावे उन्डो,
भजन बिना कठे बतावेलो मुंडो।।
करड़ा कौल किया सायब से,
मुंडो हो के तुन्डो,
केवे कबीर एक राम भजन बिना,
जमड़ा कुटेला थारो मुंडो,
भजन बिना कठे बतावेलो मुंडो।।
भजन बिना कठे बतावेलो मुंडो,
भवसागर ओ भ्रम जळ भरियो,
नाव लगे नी डूंडों।।
स्वर – टीमा बाई जी।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052