भक्ति करो नी भैरव देव री,
दोहा – मिश्री सु मिठो लागे,
म्हारा भेरुजी रो नाम,
मेवानगर री पहाड़ियों में,
बणियो नाकोड़ा धाम।
भक्ति करो नी भैरव देव री,
हो भगतो,
भेरूजी खुश हो जाय रे,
ख़ुशियाँ सु झोली भर जाय,
भेरूजी खुश हो जाय रे,
जन्म सफल हो जाय।।
गोरा ओर कालो ज्यारो नाम है,
हो भगतो,
त्रिशूल डमरू हाथ रे,
बिगड़ीया बणावे सबरा काम जी,
हो भगतो,
रहवे सदा सबरे साथ रे।।
आंधा ने देवे भेरुजी आँखिया,
हो भगतो,
कोढ़ी ने कंचन काया रे,
पांगला ने देवे भेरुजी पाँव,
जी यो भगतो,
निर्धन ने देवे एतो माया रे।।
कलयुग रा एतो साँचो देव है,
हो भगतो,
माँ अम्बा जी रा लाल रे,
अन्न धन रा भरता ए भंडार,
हो भगतो,
भेरूजी खजानों लुटाय रे।।
कीण विध करां में बखाण,
हो भगतो,
भेरूजी री महिमा अपार रे,
किशन संजय री विनती,
सुणलो हो म्हारा भैरव दादा,
लखे ‘दिलबर’ कलमकार।।
गायक – किशन गोयल बालोतरा।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
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