भक्तो का सपना है ये,
मिलकर बनाएँगे,
करले सुणवाई अबके,
फागण चढ़ाएंगे,
ये दुनिया देखे तो बोले,
ये दुनिया देखे तो बोले,
है ये बड़े ही ज़ोर का,
बागा पहनाए तुमको छप्पन करोड़ का,
बागा पहनाए तुमको छप्पन करोड़ का।।
बागा बनवाए तेरा,
सोने के तार से,
करवाए काम इसका,
बढ़िया सुनार से,
काम देखने लायक होगा,
काम देखने लायक होगा,
इसके चारो ओर का,
बागा पहनाए तुमको छप्पन करोड़ का।।
मोती की लटकन होगी,
बागे के चारो ओर,
हीरो से होगी सजावट,
बागा होगा बेजोड़,
माणक और मणियों का बिच में,
माणक और मणियों का बिच में,
पंख बनेगा मोर का,
बागा पहनाए तुमको छप्पन करोड़ का।।
तेरे बागे के ऊपर,
नवलक्खा हार हो,
नीलम पुखराज की तो,
इतनी भरमार हो,
कोई कोना रहे ना खाली,
कोई कोना रहे ना खाली,
इसके किसी भी छोर का,
बागा पहनाए तुमको छप्पन करोड़ का।।
रोजाना शोक से तुम,
बागा पहनते हो,
इतने शोकिन हो तुम,
रोज बदलते हो,
इसको भी बदलो लेकिन,
रखना ये ध्यान हो,
इससे हल्का पहनोगे,
जाएगी शान हो,
इसको बदलना ‘बनवारी’ जब,
बन जाए सौ सौ करोड़ का,
बागा पहनाए तुमको छप्पन करोड़ का।।
भक्तो का सपना है ये,
मिलकर बनाएँगे,
करले सुणवाई अबके,
फागण चढ़ाएंगे,
ये दुनिया देखे तो बोले,
ये दुनिया देखे तो बोले,
है ये बड़े ही ज़ोर का,
बागा पहनाए तुमको छप्पन करोड़ का,
बागा पहनाए तुमको छप्पन करोड़ का।।
स्वर – जयशंकर जी चौधरी।