छोड़ के दुनियादारी,
हाँ छोड़ के दुनियादारी,
भक्तों खाटू चालो जी,
मेलो श्याम धणी को भारी,
छोड़ के दुनियादारी,
हाँ छोड़ के दुनियादारी।।
जब तक यो जीवन है रहसी,
झंझट और झमेलो,
एक वर्ष में इक बार ही,
लागे है ये मेलो,
छोड़ के दुनियादारी,
हाँ छोड़ के दुनियादारी,
थोड़ो टाइम निकालो जी,
मेलो श्याम धणी को भारी,
भक्तों खाटु चालो जी,
मेलो श्याम धणी को भारी।।
फागण में मेलो लागे है,
बाबा का खाटू में,
तीन लोक का देवी देवता,
आवे है देखण में,
छोड़ के दुनियादारी,
हां छोड़ के दुनियादारी,
थारा भाग जगा लो जी,
मेलो श्याम धनि को भारी,
भक्तों खाटु चालो जी,
मेलो श्याम धणी को भारी।।
संदेशो बाबा को सीधो,
खाटू धाम से आयो,
किस्मत वाला ने ही ‘सोनू’,
आवे है ये बुलावों,
छोड़ के दुनियादारी,
हां छोड़ के दुनियादारी,
यूँ यो मत ना टालो जी,
मेलो श्याम धनि को भारी,
भक्तों खाटु चालो जी,
मेलो श्याम धणी को भारी।।
छोड़ के दुनियादारी,
हाँ छोड़ के दुनियादारी,
भक्तों खाटू चालो जी,
मेलो श्याम धणी को भारी,
छोड़ के दुनियादारी,
हाँ छोड़ के दुनियादारी।।
स्वर – सौरभ मधुकर जी।