भक्तों के मोहन मेरे भगवन,
तुम प्रेम रंग के अवतारी,
तुम जग ये नचाओ राधा संग,
ओ सांवरिया तुम गिरधारी,
भक्तो के मोहन मेरे भगवन।।
तर्ज – चन्दन सा बदन चंचल।
माथे पे तुम्हारे मोर मुकुट,
हाथों में बंसी जादूभरी,
तन पे सजे है पट पीला,
और नैन बसेरा झांकी छवि,
तेरे देख के सुन्दर चरण कमल,
तेरे देख के सुन्दर चरण कमल,
मैं ऐसे रूप पे बलिहारी,
भक्तो के मोहन मेरे भगवन,
तुम प्रेम रंग के अवतारी।।
सारी श्रष्टि मुखमंडल में,
गोवर्धन को ऊँगली पे धरा,
तूने प्रेम का नभ में रास किया,
संग महाभारत का युद्ध रचा,
तीनो लोको तीनो युग में,
तीनो लोको तीनो युग में,
है पूजे तुम्हे सब त्रिपुरारी,
भक्तो के मोहन मेरे भगवन,
तुम प्रेम रंग के अवतारी।।
भोली मैया के भोले लला,
हो दीन अनाथ के तुम ही पिता,
चंचल गोरी के हो प्रीतम,
हर दुखियारे के तुम ही सखा,
दृष्टि दया की रखना तुम,
दृष्टि दया की रखना तुम,
‘प्रवीण’ के तुम हितकारी,
Bhajan Diary Lyrics,
भक्तो के मोहन मेरे भगवन,
तुम प्रेम रंग के अवतारी।।
भक्तों के मोहन मेरे भगवन,
तुम प्रेम रंग के अवतारी,
तुम जग ये नचाओ राधा संग,
ओ सांवरिया तुम गिरधारी,
भक्तो के मोहन मेरे भगवन।।
Singer – Vijay Soni