भंवरा मिलकर मौज मना,
जिंदगी बार-बार नहीं आवे।।
प्रीत करे तो ऐसी कर्जे,
जैसे लौटा डोर,
गलो फसावे आपणो,
लावे नीर चकोर,
भँवरा मिलकर मौज मना,
जिंदगी बार-बार नहीं आवे।।
प्रीत करे तो ऐसी मत करजे,
जैसे झाड़ी बोर,
ऊपर लाली प्रेम की,
भीतर बड़ा कठोर,
भँवरा मिलकर मौज मना,
जिंदगी बार-बार नहीं आवे।।
प्रीत करे तो भंवरा ऐसी करना,
जैसे रुई कपास,
जीवित तन ने ढक रयो,
मरिया कफन हो जाए,
भँवरा मिलकर मौज मना,
जिंदगी बार-बार नहीं आवे।।
प्रीत करे तो ऐसी मत करना,
जैसे पेड़ खजूर,
पंछी को छाया नहीं,
फल लागे अति दूर,
भँवरा मिलकर मौज मना,
जिंदगी बार-बार नहीं आवे।।
कहां तक कबीर सुनो भाई साधो,
यह पद है निरवाना,
इन पदा री करे खोजना,
सत अमरापुर जाए,
भँवरा मिलकर मौज मना,
जिंदगी बार-बार नहीं आवे।।
भंवरा मिलकर मौज मना,
जिंदगी बार-बार नहीं आवे।।
गायक – दिनेश पुरी गोस्वामी जी।
प्रेषक – विनोद वैष्णव।
9414240116