भरोसे आपके चाले जी,
सतगुरू मारी नाव,
सतगुरू मारी नाव,
दाता सतगुरू मारी नाव,
भरोसे आपके चले जी,
सतगुरू मारी नाव।।
न तो मारे कुटुम्ब कबीलो,
न मारे परिवार गुरासा,
आप बिना नही दिखे जग में,
दुजो तारणहार,
भरोसे आपके चले जी,
सतगुरू मारी नाव।।
बहुसागर तो उँडा घणा च,
नहीं पायो वाको पार गुरासा,
अरज करु आपसे रे,
लगाजो भव से पार,
भरोसे आपके चले जी,
सतगुरू मारी नाव।।
कोढी कोढी माया जोड ली,
जोडी लाख हजार गुरासा,
चार दन की चाँदनी रे,
पाछे वाही अँधेरी रात,
भरोसे आपके चले जी,
सतगुरू मारी नाव।।
अडसठ तीर्थ गरूचरणा में,
चारो धाम बताया,
गरु नाम का खाया झकोला,
वाही बैठ के नाया,
भरोसे आपके चले जी,
सतगुरू मारी नाव।।
भरोसे आपके चाले जी,
सतगुरू मारी नाव,
सतगुरू मारी नाव,
दाता सतगुरू मारी नाव,
भरोसे आपके चले जी,
सतगुरू मारी नाव।।
Sent By – Mahaveer Meena
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