भव सागर का किनारा है,
कलियुग में तेरा द्वारा,
शिरडी वाले ओ शिरडी वाले,
भव सागर का किनारा है।।
तर्ज – बना के क्यो बिगाड़ा रे।
हो तुझको मँजूर तो बाबा,
भव सागर को सोख ले,
जो तू चाहे ऐ मेरे बाबा,
मृत्यू को भी रोक दे,
जीवन दाता भाग्य विधाता,
हे बाबा नाम तुम्हारा,
शिरडी वाले ओ शिरडी वाले,
भव सागर का किनारा है।।
जो तेरा नित नाम ध्यावे,
बड़ भागी कहलाता है,
हो जो समर्पित तेरे चरण़ो मे,
वो तुझको अति भाता है,
मुझको भी बाबा दास बनालो,
कर भी दो प्रभू इशारा,
शिरडी वाले ओ शिरडी वाले,
भव सागर का किनारा है।।
ऐसी बूटी लाए जहाँ में,
जो खाए तर जाता है,
बिष को भी अमृत,
तुमने किया है,
सारा जग यह गाता है,
भक्तो की खातिर,
आए है बाबा,
बनकर के तारन हारा,
शिरडी वाले ओ शिरडी वाले,
भव सागर का किनारा है।।
भव सागर का किनारा है,
कलियुग में तेरा द्वारा,
शिरडी वाले ओ शिरडी वाले,
भव सागर का किनारा है।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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