भीख नहीं मुझे चाहिए,
दो मेरा अधिकार,
मैं नालायक हूँ बेटा,
मैं नालायक हूँ बेटा,
पर तू तो समझदार,
भीख नहीं मुझे चाहिए,
दो मेरा अधिकार।।
तर्ज – देना हो तो दीजिये।
सारे जगत के जगत पिता हो,
सबने यही बताया है,
इसीलिए ये पुत्र तुम्हारा,
हक़ लेने को आया है,
जो कुछ है पास तुम्हारे,
जो कुछ है पास तुम्हारे,
मैं हूँ उसका हक़दार,
भीख नही मुझे चाहिए,
दो मेरा अधिकार।।
कैसे पिता हो तुम सांवरिया,
तरस नहीं तुम्हे आता हो,
तेरे सामने पुत्र तुम्हारा,
नैन से नीर बहाता है,
तू भोग लगाए छप्पन,
तू भोग लगाए छप्पन,
भूखा मेरा परिवार,
भीख नही मुझे चाहिए,
दो मेरा अधिकार।।
पिता पुत्र के इस रिश्ते को,
जग में नहीं बदनाम करो,
जो हक़ में आता है मेरे,
वो अब मेरे नाम करो,
मैं भीख नहीं मांगूगा,
मैं भीख नहीं मांगूगा,
आकर के यहां हर बार,
भीख नही मुझे चाहिए,
दो मेरा अधिकार।।
मैं बेबस बेचारा बेधड़क,
कैसे चलाऊं ये जीवन,
एक घर की हमें जरुरत,
और थोड़े सुख के साधन,
ज्यादा की नहीं चाहत हो,
ज्यादा की नहीं चाहत हो,
सुखमय हो घर संसार,
भीख नही मुझे चाहिए,
दो मेरा अधिकार।।
भीख नहीं मुझे चाहिए,
दो मेरा अधिकार,
मैं नालायक हूँ बेटा,
मैं नालायक हूँ बेटा,
पर तू तो समझदार,
भीख नहीं मुझे चाहिए,
दो मेरा अधिकार।।