भेरू ढोल के ढमाका बैगो आजा रे,
नकटी डाकण्या पर साकल्या घुमाजा रे।।
दितवार की करडी रात न,
घणी सताव मारी सासु मात न,
म्हारी सासु को कंलक छुडा जा र,
नकटी डाकण्या पर साकल्या घुमाजा रे।।
थारा देवरा पर जोत जलाई,
थारी मुरत को चकराम कराई,
थे दुखिया को दुखडो मिटा जा रे,
नकटी डाकण्या पर साकल्या घुमाजा रे।।
पाँच सात थार भगत बुलाई,
सारी रात थार भजन कराई,
बैगो आजा र मतवाला राजा रे,
नकटी डाकण्या पर साकल्या घुमाजा रे।।
थारी जगहा पर जात्री आया,
ढोल नगारा थारा बाजरिया बाजा,
थारा भक्ता की पार लगाजा रे,
नकटी डाकण्या पर साकल्या घुमाजा रे।।
भेरू ढोल के ढमाका बैगो आजा रे,
नकटी डाकण्या पर साकल्या घुमाजा रे।।
प्रेषक – धरम चन्द नामा सांगानेर(जयपुर)
9887223297