भेरू दादा के दर्शन पाना,
के हर पूनम नाकोड़ा जी आना,
के दादा बेड़ा पार कर देंगे,
खुशिया हजारो देंगे।।
तर्ज – जट यमला पगला।
पहाड़ियों के बीच में,
मन्दिर ये प्यारा है,
बड़ा गजब का लगता,
ये नजारा है,
देवता भी करते इस,
तीर्थ को वंदना,
पूरी होती यहाँ,
हर मनोकामना,
तीर्थ बड़ा है सुहाना,
सुहाना सुहाना,
भेरूदादा के दरशन पाना,
के हर पूनम नाकोड़ा जी आना,
के दादा बेड़ा पार कर देंगे,
खुशिया हजारो देंगे।।
पार्श्व प्रभु के संग में,
ये विराज रहे,
शिश मुकुट कानो में,
कुंडल साज रहे,
छप्पन भोग का,
थाल सजाना है,
सुखड़ी और चूरमे का,
भोग लगाना है,
भेरूजी को दिल से बुलाना,
बुलाना बुलाना,
भेरूदादा के दरशन पाना,
के हर पूनम नाकोड़ा जी आना,
के दादा बेड़ा पार कर देंगे,
खुशिया हजारो देंगे।।
आज धरा पर मानो,
स्वर्ग उतरा है,
चारो ओर परियो का,
जैसे पहरा है,
देखना है पर्चा तो,
नाकोड़ा जी आना,
बैठा है खोलके ये,
कृपा का खजाना,
नाकोड़ा पूर्णिमा मण्डल,
उदयपुर की आस्था,
भक्तो के दिल की,
यही एक भावना,
‘दिलबर’ ‘किशन’ को भी लाना,
न करना बहाना,
भेरूदादा के दरशन पाना,
के हर पूनम नाकोड़ा जी आना,
के दादा बेड़ा पार कर देंगे,
खुशिया हजारो देंगे।।
भेरू दादा के दर्शन पाना,
के हर पूनम नाकोड़ा जी आना,
के दादा बेड़ा पार कर देंगे,
खुशिया हजारो देंगे।।
गायक – किशन गोयल बालोतरा।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365