चांद ने एक दिन मुझसे ये पूछा,
भैरु देव तेरे कैसे है,
मैं बोला तू देखे तो शर्माए,
भैरुदेव मेरे ऐसे है,
मैं बोला तू देखे तो शर्माए,
भैरु देव मेरे ऐसे है।।
तर्ज – चाँद सी मेहबूबा।
आंखों से अमिरस बरसाए,
करुणा का सागर लहराए,
अमृत के प्याले छलकते है,
सूरज भी देखे तो खिल जाए,
सूरज भी देखे तो खिल जाए,
ऐसा अनोखा स्वरूप है जिनका,
भैरु देव मेरे वैसे है,
मैं बोला तू देखे तो शर्माए,
भैरु देव मेरे ऐसे है।।
जो इनकी शरण में आता है,
मनवांछित फल वो पाता है,
जिनशासन का रखवाला है,
प्रभु पारस नाथ को प्यारा है,
‘त्रिलोक’ हर दम गाता रहे,
भेरु देव मेरे वैसे है,
मैं बोला तू देखे तो शर्माए,
भैरु देव मेरे ऐसे है।।
चांद ने एक दिन मुझसे ये पूछा,
भैरु देव तेरे कैसे है,
मैं बोला तू देखे तो शर्माए,
भैरुदेव मेरे ऐसे है,
मैं बोला तू देखे तो शर्माए,
भैरु देव मेरे ऐसे है।।
गायक – त्रिलोक भोजक।
9920817781