भेरूजी धीरे धीरे खेलो,
घुंघरू टूट जावेला।।
साजा ऊपर चढ़ता भेरू,
कीनी है ललकार,
ओ भेरूजी धीरे धीरे बोलो,
साजो टूट जावेला,
भेंरूजी धीरे धीरे खेलों,
घुंघरू टूट जावेला।।
साखलिया ने लिदी हात में,
गुगरिया गमकाया,
ओ भेरू धीरे धीरे खेलो,
साखल टूट जावेली,
भेंरूजी धीरे धीरे खेलों,
घुंघरू टूट जावेला।।
एक हाथ मे भालो लिदो,
दूजे हात में ख़ाकल,
ओ भेरू धीरे धीरे खेलो,
ख़ाकल टूट जावेला,
भेंरूजी धीरे धीरे खेलों,
घुंघरू टूट जावेला।।
गणा आकरा खेले भेरू,
कूदे नो नो ताल,
भेरू धीरे धीरे खेलो,
हार टूट जावेलो,
भेंरूजी धीरे धीरे खेलों,
घुंघरू टूट जावेला।।
एक हात में लाई वाटको,
काचा का चावल,
भेरू धीरे धीरे खेलो,
चावल ढुल जावेला,
भेंरूजी धीरे धीरे खेलों,
घुंघरू टूट जावेला।।
एक हाथ मे गुरजा लिदी,
एक हाथ मे भालो,
भेरू धीरे धीरे खेलो,
गुरजा टूट जावेलो,
भेंरूजी धीरे धीरे खेलों,
घुंघरू टूट जावेला।।
दे दे गुमर खेले भेरू,
नाचे है मतवालों,
भेरू धीरे धीरे खेलो,
गुमर टूट जावेली,
भेंरूजी धीरे धीरे खेलों,
घुंघरू टूट जावेला।।
भेरूजी धीरे धीरे खेलो,
घुंघरू टूट जावेला।।
गायक – जगदीश जी वैष्णव।
प्रेषक – मगन लाल प्रजापति मोलेला।
7229814054