भेरूजी थारा द्वार पे,
आयो हूँ दुखड़ा टार दे,
कंकाली रा लाल भेरू जी,
ऊबो थारे बारणे,
भेरू जी थारा द्वार पे।।
जेठ मास थारो जागण वेला,
सब जातरी द्वार पे वेला,
ऐ मैं तो जागण देऊ सारी रात ने,
भेरू जी थारा द्वार पे।।
द्वार-द्वार मैं गयो रे भेरूजी,
कोई न हेलो सुणियो भेरू जी,
ओ मारा शिशोदा सरकार ने,
भेरू जी थारा द्वार पे।।
ढोल नगाड़ा नोपत बाजे,
खम्मा खम्मा मारा भेरूजी नाचे,
ओ मारी विपदा देवो टार ने,
भेरू जी थारा द्वार पे।।
गावे जावे हेले आवे,
धरम तंवर थारा भजन सुनावे,
ओ भेरू बेगा आवो पाट पे,
भेरू जी थारा द्वार पे।।
भेरूजी थारा द्वार पे,
आयो हूँ दुखड़ा टार दे,
कंकाली रा लाल भेरू जी,
ऊबो थारे बारणे,
भेरू जी थारा द्वार पे।।
गायक / लेखक – धर्मेंद्र तंवर उदयपुर।
9829202569