भिलोणो भाव रो हो ओ,
दोहा – राम झरोखे बैठ के,
सब का मुजरा लेय,
जैसी नर की चाकरी,
वैसा ही फल देय।
बड़ो बड़ाई नहीं करे,
बड़ो नी बोले बोल,
हीरा मुख से कद केवे,
लाख हमारा मोल।
सत ही मोक्ष द्वार है,
सत उतारे पार,
सत रे बंधिया अविनाशी,
वे गया रीखो रे द्वार।
सत मत छोड़ो सायबा,
सत छोड़िया पत जाय,
सत री बांधी लक्ष्मी,
वा फेर मिलेली आय।
भिलोणो भाव रो हो ओ,
आज मैं करसो हेत लगाय,
करसो हेत लगाय मैं तो,
करसो प्रीत लगाय।।
गाय दुहाडू ज्ञान री ओ,
उनमुन आतड़िया,
जरणा रो जावण नहे कियो ओ,
जमगी जावणिया,
भिलोणों भाव रो हो ओ,
आज मैं करसो हेत लगाय।।
सुरता दही न ठारियो ओ,
दुर्गुण नेतरियो,
गिगन मंडल में घूमे मथाणी,
चमके झेलणियो,
भिलोणों भाव रो हो ओ,
आज मैं करसो हेत लगाय।।
तन मन माखण तोलियो ओ,
तोलड़िये लिपटाय,
किटी काढ़ो कुबद री ओ,
जग सी अंग अपार,
भिलोणों भाव रो हो ओ,
आज मैं करसो हेत लगाय।।
साँच साँच रे सुहावणा हो,
साँचा में भरपूर,
बुदरोजी बैठा भजन माही बोले,
बरसे नवला नूर,
भिलोणों भाव रो हो ओ,
आज मैं करसो हेत लगाय।।
भिलोणो भाव रों हो ओ,
आज मैं करसो हेत लगाय,
करसो हेत लगाय मैं तो,
करसो प्रीत लगाय,
गाय दुहाडू ज्ञान री ओ,
उनमुन आतड़िया,
जरणा रो जावण नहे कियो ओ,
जमगी जावणिया,
भिलोणों भाव रो हो ओ,
आज मैं करसो हेत लगाय।।
गायक – श्री भोलाराम जी नंदवाण।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052