भोला रे ज्यादा ते मत खइयो,
भंग के गोला रे,
गोला रे भोला गोला रे,
गोला रे भोला गोला रे,
भोला रे ज्यादा तें मत खइयो,
भंग के गोला रे।।
तर्ज – पारंपरिक बुंदेली लोक धुन।
पीसत-पीसत गौरा थक गईं,
माथे निकरे पसीना,
लाख मनावें गौरा मैया,
तुम्हें परत ना चैना,
डोला रे भक्तों का मन,
देख के तेरा चोला रे,
डोला रे भोला डोला रे,
डोला रे भोला डोला रे,
भोला रे ज्यादा तें मत खइयो,
भंग के गोला रे।।
मस्त मगन है भोले बाबा,
संग में भूत बेताला,
एक हाथ में त्रिशूल बिराजे,
कम्मर में मृगछाला,
बोला रे डमरु भी तेरा डम-डम,
डम-डम बोला रे,
बोला रे भोला बोला रे,
बोला रे भोला बोला रे,
भोला रे ज्यादा तें मत खइयो,
भंग के गोला रे।।
सदा नशे में रहते शंभू,
भगत को कभी ना भूलें,
होती किरपा भक्तों पे इनकी,
चरणों को जो छूलें,
खोला रे ‘संजू’ की किस्मत,
का ताला खोला रे,
खोला रे भोला खोला रे,
खोला रे भोला खोला रे,
भोला रे ज्यादा तें मत खइयो,
भंग के गोला रे।।
भोला रे ज्यादा ते मत खइयो,
भंग के गोला रे,
गोला रे भोला गोला रे,
गोला रे भोला गोला रे,
भोला रे ज्यादा तें मत खइयो,
भंग के गोला रे।।
गीतकार व गायक – संजू वाडीवा।
मोबाइल नंबर – 9893323746