भोले शंकर की शान निराली,
आए है आज दूल्हा बनके,
गौरा रानी से विवाह रचाने,
आए हैं भोले बनठन के।।
शिव जी का है श्रृंगार निराला,
सांप और बिच्छुओं को गले में डाला,
चंदा सोहे जिनके भाल,
नन्दी पे बैठे तन के,
भोलें शंकर की शान निराली,
आए है आज दूल्हा बनके।।
ब्रह्मा विष्णु भी सज कर आए,
गायत्री लक्ष्मी को संग में लाए,
सभी देवगण हुए निहाल,
आए हैं बाराती बनके,
भोलें शंकर की शान निराली,
आए है आज दूल्हा बनके।।
भूत प्रेत सब बने हैं बाराती,
जोगनियां भी शोर मचाती,
भूतों की बारात देख सब,
भागे बच्चे डर डर के,
भोलें शंकर की शान निराली,
आए है आज दूल्हा बनके।।
राजा हिमाचल खुशी मनाते,
गौरा के भाग्य को सराहते,
मैना आरती करें भोले की,
‘श्याम’ गाए भाव मन के,
भोलें शंकर की शान निराली,
आए है आज दूल्हा बनके।।
भोले शंकर की शान निराली,
आए है आज दूल्हा बनके,
गौरा रानी से विवाह रचाने,
आए हैं भोले बनठन के।।
रचना एवम स्वर – घनश्याम मिढ़ा।
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