भोले तेरी जटा में गंगा,
बहती है दिन रात जी,
बहती है दिन रात जी,
बहती है दिन रात जी,
भोलें तेरी जटा में गँगा,
बहती है दिन रात जी।।
भोले तेरी खातिर मैं तो,
हलवा पूरी ल्याई जी,
एक बै भोले रज रज खाले,
सत पकवान में लयाई जी,
भोलें तेरी जटा में गँगा,
बहती है दिन रात जी।।
भोले तेरी खातिर मैं तो,
जलजीरा भी ल्याई जी,
भोले अपनी प्यास बुझा ले,
गेल शिकंजी ल्याई जी,
भोलें तेरी जटा में गँगा,
बहती है दिन रात जी।।
भोले तेरी खातिर मैं त,
ठण्डी लस्सी ल्याई जी,
भंगीया पिणी भूलज्गा,
ताजा मक्खन ल्याई जी,
भोलें तेरी जटा में गँगा,
बहती है दिन रात जी।।
भोले तेरे दर प मैं तो,
तैने मनावण आई जी,
गुरु रविन्द्र भजन बणाव,
नेहा ने धुन लाई जी,
भोलें तेरी जटा में गँगा,
बहती है दिन रात जी।।
भोले तेरी जटा में गंगा,
बहती है दिन रात जी,
बहती है दिन रात जी,
बहती है दिन रात जी,
भोलें तेरी जटा में गँगा,
बहती है दिन रात जी।।
गायिका – नेहा सिंह।
लेखक – रविन्द्र भट्टी कुरुक्षेत्र।
9896466917