भोले नाथ ने मनावण जी,
थे तो राखो नी छतर वाली छाया ओ,
भोलें नाथ ने मनावण जी।।
भोले शिवरात्रि मन भावे जी,
सब मिल जुल भोग लगावा जी,
शंकर देव ने मनावण जी,
भोलें नाथ ने मनावण जी।।
देवा शीश पर गंगा खलके जी,
थारे मूकट चन्द्रमा चमके जी,
शंकर देव ने मनावण जी,
भोलें नाथ ने मनावण जी।।
थारे गले मे नाग विराजे जी,
थारे अंग भभुती सोवे ओ,
शंकर देव ने मनावण जी,
भोलें नाथ ने मनावण जी।।
हाथ मे त्रिशूल सोवे जी,
थारे डम-डम डमरू बाजे जी
शंकर देव ने मनावण जी,
भोलें नाथ ने मनावण जी।।
भोला बाड़मेर मे धाम बणीयो जी,
देवा सूजेश्वर धाम जोर बणीयो जी,
थाने सुरेश नित उठ ध्यावे जी,
शंकर देव ने मनावण जी,
भोलें नाथ ने मनावण जी।।
भोले नाथ ने मनावण जी,
थे तो राखो नी छतर वाली छाया ओ,
भोलें नाथ ने मनावण जी।।
प्रेषक – रवींद्र राजपुरोहित।
गायक – सुरेश जांगिड़ बाड़मेर।
मो 7073648651