भोली काया रोवजे मति,
दोहा – मुक्ति का घर दोयला,
बांको मार्ग होय,
सतगुरु की कृपा बिना,
अमर पट्टो नहीं होय।
थारी गुरासा मेटी आला जाल रे,
भोली काया रोवजे मति,
रोव जे मति ऐ काया,
बिलखे मति।।
आपई को बाप मर गया,
पाप मिटग्यो मेलो,
ममता वाली माता मर गई,
वीयो मुक्ति को गैलो,
भोली काया रोवजें मति,
रोव जे मति ऐ काया,
बिलखे मति।।
मट गई थारी बेन्या बावली,
मटगई सब अबकयी,
अज्ञानी अबका अनायडा,
मर गया थारा भोंदू भाई,
भोली काया रोवजें मति,
रोव जे मति ऐ काया,
बिलखे मति।।
काल क्रोधि दोई काका मर गया,
कबदी मर गई काक्या,
मर गया लोभी पूत लाडलो,
झूठी दुआ तो मान सखियां,
भोली काया रोवजें मति,
रोव जे मति ऐ काया,
बिलखे मति।।
कामदेव कामेती अरु मन,
मर गया फौज का माझी,
अब तो ‘भैरव’ बाट बधाई,
हरक हरक हो राजी,
भोली काया रोवजें मति,
रोव जे मति ऐ काया,
बिलखे मति।।
थारी गुरासा मेटी आला जाल रे,
भोली काया रोव जे मति,
रोव जे मति ऐ काया,
बिलखे मति।।
गायक – दिनेश वैष्णव “छापरी”
9928253130