भूलूँ नाही एक घड़ी,
मैं सांवरिया थाने।
दोहा – जगत जननी माँ शारदे,
मुझ दिन पर दृष्टि धरो,
विद्या खजाना खोल के,
मैया कंठ के भीतर धरो।
भूलूँ नाही एक घड़ी,
मैं सांवरिया थाने,
भूलू नाही एक घड़ी,
ओ मारो जन्म सुधारो दीनानाथ,
या काया मारी केद पड़ी।।
नर नारी को भयोजी संजोग,
कमल बीच बूंद पड़ी,
नौ महीना रियो गर्भवास,
थने बाहर आया भूल पड़ी,
भूलू नाही एक घड़ी,
मैं सांवरिया थाने,
भूलू नाही एक घड़ी,
ओ मारो जन्म सुधारो दीनानाथ,
या काया मारी केद पड़ी।।
अब होग्यो होग्यो जोध जवान,
माथा पर मेली पागड़ी,
गणों दियो रे मुच्या ताव,
छाया ने नरखी घणी रे घणी,
भूलू नाही एक घड़ी,
मैं सांवरिया थाने,
भूलू नाही एक घड़ी,
ओ मारो जन्म सुधारो दीनानाथ,
या काया मारी केद पड़ी।।
डगमग हालन लागी नाड़,
आख्या में छाई आंधडली,
थारी पोल्या महीने ढाली थारी खाट,
जमड़ा री फौजा बाहर खड़ी,
भूलू नाही एक घड़ी,
मैं सांवरिया थाने,
भूलू नाही एक घड़ी,
ओ मारो जन्म सुधारो दीनानाथ,
या काया मारी केद पड़ी।।
झूठा थारा मायड़ बाप,
झूठी या थारी बेनडली,
झूठी थारा घर की या नार,
जो मरता ही दूर खड़ी,
भूलू नाही एक घड़ी,
मैं सांवरिया थाने,
भूलू नाही एक घड़ी,
ओ मारो जन्म सुधारो दीनानाथ,
या काया मारी केद पड़ी।।
बित्या थारा दिनडा ही चार,
कंचन काया धरण पड़ी,
साची साची कह ग्या कबीर,
थने मरया फाचे खबर पड़ी,
भूलू नाही एक घड़ी,
मैं सांवरिया थाने,
भूलू नाही एक घड़ी,
ओ मारो जन्म सुधारो दीनानाथ,
या काया मारी केद पड़ी।।
भूलूँ नाही एक घड़ी,
मैं सांवरिया थाने,
भूलू नाही एक घड़ी,
ओ मारो जन्म सुधारो दीनानाथ,
या काया मारी केद पड़ी।।
स्वर – किशन सोनगर
प्रेषक – वीनू सोनगर
बालाजी संगीत ग्रुप सोनगर
7023805071