बिङो उठायो हनुमान हटिला,
बिङो उठायो राजा राम रो।।
पांच पाना रो बिङो बनायो,
फेरियो सभा रे माई रे,माई रे,
उण बिङा कुण नहीं जेलियो,
हनुमंत हाथ उठायो रे,
बिड़ो उठायो हनुमान हटिला,
बिङो उठायो राजा राम रो।।
बिङो उठायो मुख मे दबायो,
चरणा मे शीश नमायो रे,
पानी री पणिहारिया बोली,
कोन जनावर लायो रे,
बिड़ो उठायो हनुमान हटिला,
बिङो उठायो राजा राम रो।।
इतरी बात सुनी जद हनुमंत,
कुद बाग मे आयो,
जिण रे जाङ निचे सिता बैठी,
गोदी मे मुनदङी रलायो,
बिड़ो उठायो हनुमान हटिला,
बिङो उठायो राजा राम रो।।
देख मुनदङी सिता जुरवा लागी,
आ मुनदङी कुण लायो,
तुलसीदास प्रभु आस रघुवीर की,
नेणो मे निर भर आयो,
बिड़ो उठायो हनुमान हटिला,
बिङो उठायो राजा राम रो।।
भाग भला अंजनी रो जायो,
बिङो उठायो राजा राम रो,
बिङो उठायो हनुमान हटिला,
बिङो उठायो राजा राम रो
बिड़ो उठायो हनुमान हटिला,
बिङो उठायो राजा राम रो।।
बिड़ो उठायो हनुमान हटिला,
बिङो उठायो राजा राम रो।।