बिगड़ी मेरी बना हनुमान,
(तर्ज :- ओढ़नी ओढके नाचूँ … फि॰ तेरे नाम)
बिगड़ी, मेरी बनादे, बिगड़ी …
बिगड़ी मेरी बना हनुमान
मैँ शरण मेँ तेरी आ गया।
तेरी सुनके महिमा अपार
मैँ शरण मेँ तेरी आ गया।
सुनके, महिमा तेरी, सुनके …
बिगड़ी मेरी बना …॥
लाया हूँ मैँ, दिल मेँ अपने,
लगा के लगन तेरे दर्शन की,
आँखोँ मेँ आँसू हैँ,
भेँट मेरे पास ये ही है,
तू करले स्वीकार ओ अंजनी के लाल,
मेरे नैनोँ की बुझादे प्यास
मैँ शरण मेँ तेरी आ गया॥१॥
सुनके तेरी महिमा …
तू जिसको बुलाये रे
दर पे वो ही आये रे
बाबा जिसे, दर पे बुलाये,
आये नंगे पांव वो दौङता,
दुष्टोँ को मार भगाते हो,
भक्तोँ को पार लगाते हो,
ऐसा है दीन दयाल ये पवन का लाल
बाबा सुनलो ‘खेदड़’ की पुकार
मैँ शरण मेँ तेरी आ गया॥२॥
सुनके तेरी महिमा …
बिगड़ी मेरी बना…
बिगड़ी, मेरी बनादे, बिगड़ी …
बिगड़ी मेरी बना हनुमान,
मैँ शरण मेँ तेरी आ गया।
तेरी सुनके महिमा अपार
मैँ शरण मेँ तेरी आ गया।
सुनके, महिमा तेरी, सुनके …
बिगड़ी मेरी बना …॥
Bhajan By “PKhedar”