बिगड़ी बनाना जिसका काम है,
वो मेरा खाटू वाला श्याम है।।
तर्ज – साजन मेरा उस पार।
हारे का साथ निभाता श्यामधणी,
रोते को पल में हंसाता श्यामधणी,
कलयुग में जिसका साँचा नाम है,
वो मेरा खाटू वाला श्याम है,
बिगड़ीं बनाना जिसका काम है,
वो मेरा खाटू वाला श्याम है।।
मिलता औकात से ज्यादा खाटू में,
कटती है सारी बाधा खाटू में,
करता जो किरपा आठों याम है,
वो मेरा खाटू वाला श्याम है,
बिगड़ीं बनाना जिसका काम है,
वो मेरा खाटू वाला श्याम है।।
जिसकी दतारी सबसे न्यारी है,
गाए ‘आकांक्षा’ लिखे ‘अनाड़ी’ है,
गिरते को लेता जो थाम है,
वो मेरा खाटू वाला श्याम है,
बिगड़ीं बनाना जिसका काम है,
वो मेरा खाटू वाला श्याम है।।
बिगड़ी बनाना जिसका काम है,
वो मेरा खाटू वाला श्याम है।।
स्वर – आकांक्षा मित्तल।