बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना,
बिगड़ी कौन सुधारे जी।
दोहा – सूता सूता क्या करे,
सूता ने आवे नींद,
जम सिराणे आय खड़ो,
ज्यूं तौरण आयो बीन्द।
बिगड़ी कौन सुधारें नाथ बिना,
बिगड़ी कौन सुधारे जी,
बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना।।
बिगड़ी सुधरी दोनो बहना,
अरे परम्परा से आई जी,
एक दिन बिगड़ी राजा रावण की,
फिर गई राम दुहाई जी,
बिगड़ी कौंन सुधारें नाथ बिना,
बिगड़ी कौन सुधारे जी,
बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना।।
बनी बनी का सब कोई साथी,
अरे भई बिगड़ी का कोई नही,
भरी सभा चीर बढायो,
अरे दीनानाथ गोसाई जी,
बिगड़ी कौंन सुधारें नाथ बिना,
बिगड़ी कौन सुधारे जी,
बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना।।
नेम धर्म री नाव बनाई जी,
ओ धर्मी धर्मी पार उतरया,
अरे पापी नाव डुबोई जी,
बिगड़ी कौंन सुधारें नाथ बिना,
बिगड़ी कौन सुधारे जी,
बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना।।
कड़वी बेल री कड़वी तुबंड़ियां,
सब तीर्थ कर खाई जी,
घाट घाट जल भर लाई,
फिर भी गई ना कड़वाई जी,
बिगड़ी कौंन सुधारें नाथ बिना,
बिगड़ी कौन सुधारे जी,
बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना।।
पांच तत्व री बनी के चुनड़ियां,
चुनड़ी रे दाग लगायो जी,
नाथ जलंधर गुरू हमारा,
राजा मान जस गायो जी,
बिगड़ी कौंन सुधारें नाथ बिना,
बिगड़ी कौन सुधारे जी,
बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना।।
बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना,
बिगड़ी कौन सुधारे जी,
बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिना।।
स्वर – प्रकाश माली जी
प्रेषक – पुखराज पटेल बांटा
9784417723