बिन बोले जब मिलता,
हम बोल के क्या मांगे,
मेरी दुनिया तुम ही हो,
दुनिया से क्या मांगे,
मेरी दुनिया तुम ही हो,
दुनिया से क्या मांगे,
बिन बोलें जब मिलता,
हम बोल के क्या मांगे।।
तर्ज – ऐ मेरे दिल-ए-नादान।
धन दौलत क्या मांगे,
मुस्कान ये दी तुमने,
हमें श्याम प्रेमियों की,
पहचान ये दी तुमने,
किस्मत को बनाते हो,
किस्मत से क्या मांगे,
बिन बोलें जब मिलता,
हम बोल के क्या मांगे।।
कोई हमसे पूछे ज़रा,
जन्नत कैसी होगी,
दावे से कहता हूँ,
खाटू जैसी होगी,
जीते जी स्वर्ग मिला,
मरने पर क्या मांगे,
बिन बोलें जब मिलता,
हम बोल के क्या मांगे।।
हमसे नालायक को,
लायक समझा तुमने,
अपनों ने ठुकराया,
अपना समझा तुमने,
तुमको ही मांग लिया,
तुमसे अब क्या मांगे,
बिन बोलें जब मिलता,
हम बोल के क्या मांगे।।
बिन बोले जब मिलता,
हम बोल के क्या मांगे,
मेरी दुनिया तुम ही हो,
दुनिया से क्या मांगे,
मेरी दुनिया तुम ही हो,
दुनिया से क्या मांगे,
बिन बोलें जब मिलता,
हम बोल के क्या मांगे।।
स्वर – राज पारीक जी।
बहुत ही प्यारा भजन है तू तो ममता लुटाने वाली है फिर क्यो मेरी झाेली खाली है।