बिन मांगे सब कुछ पाया,
मैं जबसे शरण में आया,
मेरे साथ हमेशा रहते,
प्रभु पार्श्व ये बनके साया,
बिन माँगे सब कुछ पाया।।
तर्ज – तुझे सूरज कहूँ या।
मैं जिसको ढूंढ रहा था,
वो शंखेस्वर में मिले है,
इनकी कृपा से मेरी,
बगिया में फूल खिले है,
मेरे सिर पर हाथ रखकर,
बस प्यार ही प्यार लुटाया,
मेरे साथ हमेशा रहते,
प्रभु पार्श्व ये बनके साया,
बिन माँगे सब कुछ पाया।।
हे शंखेस्वर के स्वामी,
सुनलो जग अंतर्यामी,
जब जब भी पड़ी जरूरत,
तेरी याद आई है स्वामी,
तेरे ही भरोसे दादा,
सपनो के महल बनाऊं,
तू देकर भूलने वाला,
मैं हरदम हाथ फैलाऊं,
तेरा कैसे कर्ज चुकाऊँ,
कितने एहसान गिनाऊँ,
तू देकर भूलने वाला,
मैं हरदम हाथ फैलाऊं।।
जबसे मिला ये द्वारा,
चमका किस्मत का सितारा,
इनके ही नाम से चलता,
सब भक्तो का ये गुजारा,
तुमको इस दिल में बिठाकर,
‘दिलबर’ तुझे अपना बनाया,
मेरे साथ सदा ही रहते,
प्रभु पार्श्व ये बनके साया।।
बिन मांगे सब कुछ पाया,
मैं जबसे शरण में आया,
मेरे साथ हमेशा रहते,
प्रभु पार्श्व ये बनके साया,
बिन माँगे सब कुछ पाया।।
गायक – अतुल जैन बडौद।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365